Saturday, August 10, 2019

टकराए जैसे आईना पत्थर से बार -बार
यूँ लड़ रहा हूँ अपने मुक़द्दर से बार -बार

या रब। हमें ये पाँव भी तूने अता किए
तू ही संभाल, निकलें जो चादर से बार-बार

-हस्तीमल 'हस्ती'

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