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Tuesday, January 21, 2020

दिल में हो आस तो हर काम सँभल सकता है

दिल में हो आस तो हर काम सँभल सकता है
हर अँधेरे में दिया ख़्वाब का जल सकता है

इश्क़ वो आग जो बरसों में सुलगती है कभी
दिल वो पत्थर जो किसी आन पिघल सकता है

(आन = क्षण, पल)

हर निराशा है लिए हाथ में आशा बंधन
कौन जंजाल से दुनिया के निकल सकता है

जिस ने साजन के लिए अपने नगर को छोड़ा
सर उठा कर वो किसी शहर में चल सकता है

मेरा महबूब है वो शख़्स जो चाहे तो 'नईम'
सूखी डाली को भी गुलशन में बदल सकता है

-हसन नईम

Friday, December 27, 2019

कुछ उसूलों का नशा था कुछ मुक़द्दस ख़्वाब थे
हर ज़माने में शहादत के यही अस्बाब थे
-हसन नईम

(मुक़द्दस = पवित्र, पाक), (अस्बाब = कारण, हालात)

Thursday, August 8, 2019

ग़म से बिखरा न पाएमाल हुआ
मैं तो ग़म से ही बे-मिसाल हुआ
-हसन नईम

(पाएमाल = घिसा-पिटा, दुर्दशाग्रस्त, पाँव तले रौंदा हुआ)