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Saturday, April 9, 2016

हवस जीने की है यूं उम्र के बेकार कटने पर
जो हम से ज़िन्दगी का हक़ अदा होता तो क्या होता
- बृजनारायण चकबस्त

Thursday, May 28, 2015

ज़िन्दगी क्या है, अनासिर में ज़हूर-ए-तरतीब
मौत क्या है, इन्ही अजज़ा का परीशां होना

-बृज नारायण चकबस्त

(अनासिर = पंचभूत, पाँच तत्व - अग्नि, जल, वायु, धरती और आकाश), (ज़हूर-ए-तरतीब = ठीक से गुज़ारने का तरीक़ा, प्रकट होने का सिलसिला/ क्रम ), (अजज़ा = भाग, टुकड़े), (परीशां होना = बिखर जाना)

Sunday, April 21, 2013

मिटने वालों की वफ़ा का यह सबक़ याद रहे,
बेड़ियाँ पैर में हों, और दिल आज़ाद रहे ।
-चकबस्त

Friday, March 22, 2013

अहले हिम्मत मंज़िले मक़सूद तक आ ही गए,
बंदए तक़दीर क़िस्मत का गिला करते रहे ।
-चकबस्त

[(अहले हिम्मत = साहसी लोग), (मंज़िले मक़सूद = लक्ष्य), (बंदए तक़दीर = भाग्यवादी)]
 

Saturday, November 17, 2012

गुनहगारों में शामिल हैं, गुनाहों से नहीं वाक़िफ़,
सज़ा को जानते हैं हम, ख़ुदा जाने ख़ता क्या है?
-चकबस्त