मंज़र गुज़िश्ता शब के दामन में भर रहा है
दिल फिर किसी सफ़र का सामान कर रहा है
है कोई जो बताए शब के मुसाफ़िरों को
कितना सफ़र हुआ है कितना सफ़र रहा है
-शहरयार
(गुज़िश्ता = भूतकाल, बीता हुआ), (शब = रात)
दिल फिर किसी सफ़र का सामान कर रहा है
है कोई जो बताए शब के मुसाफ़िरों को
कितना सफ़र हुआ है कितना सफ़र रहा है
-शहरयार
(गुज़िश्ता = भूतकाल, बीता हुआ), (शब = रात)