Friday, September 28, 2012

तेज आंधी में अंधेरों के सितम सहते रहे
रात को फिर भी चिरागों से शिकायत कुछ है
आज की रात मैं घूमूँगा खुली सड़कों पर
आज की रात मुझे ख़्वाबों से फुरसत कुछ है
-शहरयार

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