तेज आंधी में अंधेरों के सितम सहते रहे
रात को फिर भी चिरागों से शिकायत कुछ है
आज की रात मैं घूमूँगा खुली सड़कों पर
आज की रात मुझे ख़्वाबों से फुरसत कुछ है
-शहरयार
रात को फिर भी चिरागों से शिकायत कुछ है
आज की रात मैं घूमूँगा खुली सड़कों पर
आज की रात मुझे ख़्वाबों से फुरसत कुछ है
-शहरयार
No comments:
Post a Comment