करता हूँ इस लिए मैं तेरे ग़म की जुस्तजू
काँटों के ख़रीदार सारे नहीं होते
साहिल के तलब-गार ये पहले से जान लें
दरिया-ए-मुहब्बत में किनारे नहीं होते
-"फ़ना" निज़ामी कानपुरी
(जुस्तजू = तलाश, खोज), (साहिल = किनारा)
काँटों के ख़रीदार सारे नहीं होते
साहिल के तलब-गार ये पहले से जान लें
दरिया-ए-मुहब्बत में किनारे नहीं होते
-"फ़ना" निज़ामी कानपुरी
(जुस्तजू = तलाश, खोज), (साहिल = किनारा)