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Monday, July 1, 2019

करता हूँ इस लिए मैं तेरे ग़म की जुस्तजू
काँटों के ख़रीदार सारे नहीं होते

साहिल के तलब-गार ये पहले से जान लें
दरिया-ए-मुहब्बत में किनारे नहीं होते

-"फ़ना" निज़ामी कानपुरी

(जुस्तजू = तलाश, खोज), (साहिल = किनारा)

Thursday, January 24, 2019

दिल से अगर कभी तिरा अरमान जाएगा

दिल से अगर कभी तिरा अरमान जाएगा
घर को लगा के आग ये मेहमान जाएगा

सब होंगे उस से अपने तआरुफ़ की फ़िक्र में
मुझ को मिरे सुकूत से पहचान जाएगा

(सुकूत = मौन, चुप्पी, ख़ामोशी)

इस कुफ़्र-ए-इश्क़ से मुझे क्यूँ रोकते हो तुम
ईमान वालो मेरा ही ईमान जाएगा

आज उस से मैं ने शिकवा किया था शरारतन
किस को ख़बर थी इतना बुरा मान जाएगा

अब इस मक़ाम पर हैं मिरी बे-क़रारियाँ
समझाने वाला हो के पशेमान जाएगा

 (पशेमान = शर्मिंदा)

दुनिया पे ऐसा वक़्त पड़ेगा कि एक दिन
इंसान की तलाश में इंसान जाएगा

-फ़ना निज़ामी कानपुरी

Tuesday, January 22, 2019

अहल-दैर-ओ-हरम रह गए

अहल-दैर-ओ-हरम रह गए
तेरे दीवाने कम रह गए

(अहल-दैर-ओ-हरम  = मंदिर और मस्जिद वाले लोग)

मिट गए मंज़िलों के निशाँ
सिर्फ़ नक़्श-ए-क़दम रह गए

(नक़्श-ए-क़दम = पैरों के निशान, पदचिन्ह)

हम ने हर शय सँवारी मगर
उन की ज़ुल्फ़ों के ख़म रह गए

बे-तकल्लुफ़ वो औरों से हैं
नाज़ उठाने को हम रह गए

रिंद जन्नत में जा भी चुके
वाइ'ज़-ए-मोहतरम रह गए

(रिंद = शराबी), (वाइज़ = धर्मोपदेशक)

देख कर तेरी तस्वीर को
आइना बन के हम रह गए

ऐ 'फ़ना' तेरी तक़दीर में
सारी दुनिया के ग़म रह गए

-फ़ना निज़ामी कानपुरी

Saturday, January 19, 2019

दुनिया-ए-तसव्वुर हम आबाद नहीं करते

दुनिया-ए-तसव्वुर हम आबाद नहीं करते
याद आते हो तुम ख़ुद ही हम याद नहीं करते

(दुनिया-ए-तसव्वुर = ख़यालों/ यादों की दुनिया)

वो जौर-ए-मुसलसल से बाज़ आ तो गए लेकिन
बे-दाद ये क्या कम है बे-दाद नहीं करते

(निरंतर अत्याचार/ ज़ुल्म करना), (बे-दाद = अन्याय)

साहिल के तमाशाई हर डूबने वाले पर
अफ़सोस तो करते हैं इमदाद नहीं करते

(साहिल = किनारा), (इमदाद = मदद, सहायता)

कुछ दर्द की शिद्दत है कुछ पास-ए-मोहब्बत है
हम आह तो करते हैं फ़रियाद नहीं करते

(पास-ए-मोहब्बत = प्यार का लिहाज़/ सम्मान)

सहरा से बहारों को ले आए चमन वाले
और अपने गुलिस्ताँ को आबाद नहीं करते

(सहरा = रेगिस्तान, जंगल, बियाबान)

-फ़ना निज़ामी कानपुरी