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Monday, May 11, 2020

पानी आँख में भरकर लाया जा सकता है
अब भी जलता शहर बचाया जा सकता है
-अब्बास ताबिश

Thursday, October 24, 2019

हालत-ए-हिज्र में जो रक़्स नहीं कर सकता
उस के हक़ में यही बेहतर है कि पागल हो जाए
-अब्बास ताबिश

(हालत-ए-हिज्र = जुदाई की हालत) , (रक़्स = नृत्य)

Thursday, February 14, 2019

मेरा रंज-ए-मुस्तक़िल भी जैसे कम सा हो गया
मैं किसी को याद कर के ताज़ा-दम सा हो गया
अब्बास ताबिश

(रंज-ए-मुस्तक़िल = निरंतर/ चिरस्थाई दु: ख)

Saturday, February 9, 2019

हिज्र को हौसला और वस्ल को फ़ुर्सत दरकार
इक मोहब्बत के लिए एक जवानी कम है
-अब्बास ताबिश

(हिज्र = जुदाई), (वस्ल = मिलन)

Friday, February 8, 2019

मैं अपने आप में गहरा उतर गया शायद
मिरे सफ़र से अलग हो गई रवानी मिरी
-अब्बास ताबिश

(रवानी = बहाव, प्रवाह)

Thursday, February 7, 2019

बैठे रहने से तो लौ देते नहीं ये जिस्म-ओ-जाँ
जुगनुओं की चाल चलिए रौशनी बन जाइए
-अब्बास ताबिश

Wednesday, February 6, 2019

फ़क़त माल-ओ-ज़र-ए-दीवार-ओ-दर अच्छा नहीं लगता
जहाँ बच्चे नहीं होते वो घर अच्छा नहीं लगता
-अब्बास ताबिश

(माल-ओ-ज़र-ए-दीवार-ओ-दर = धन-दौलत की दीवारें और दरवाज़ा)

Tuesday, February 5, 2019

मिलती नहीं है नाव तो दरवेश की तरह
ख़ुद में उतर के पार उतर जाना चाहिए
-अब्बास ताबिश

Monday, February 4, 2019

रात को जब याद आए तेरी ख़ुशबू-ए-क़बा
तेरे क़िस्से छेड़ते हैं रात की रानी से हम
-अब्बास ताबिश

(ख़ुशबू-ए-क़बा = कपड़ों की ख़ुशबू)
झोंके के साथ छत गई दस्तक के साथ दर गया
ताज़ा हवा के शौक़ में मेरा तो सारा घर गया
-अब्बास ताबिश

Sunday, February 3, 2019

एक मुद्दत से मिरी माँ नहीं सोई 'ताबिश'
मैं ने इक बार कहा था मुझे डर लगता है
-अब्बास ताबिश
इश्क़ कर के भी खुल नहीं पाया
तेरा मेरा मुआमला क्या है
-अब्बास ताबिश