गर हवाएं बह रहीं प्रतिकूल हैं।
राह में कांटे बिछे या फूल हैं।
तम सघन चहुँ ओर ही अंधियार हो।
या कि चहुँदिस दूधिया उजियार हो।
तू तो बस निज कर्म पर विश्वास कर।
और बदले में ना फल की आस कर।
कर्म करने में ही तेरी जीत है।
फल तो वो देगा जो सबका मीत है॥
यह नदी जैसे निरंतर बह रही।
और हवा चलती हुई कुछ कह रही।
कर्म निज निस्वार्थ तुम करते रहो।
और सतत ही मार्ग पर बढ़ते रहो।
बीज जब बोया है फल तो आएगा।
आज ना आया तो कल आ जाएगा।
बीज बोना ही जगत की रीत है।
फल तो वो देगा जो सबका मीत है।।
मात्र तेरा कर्म बुद्धि योग है।
विमुख होना कर्म से अभियोग है।
किस लिए तू मोह में आसक्त है।
जब तू मोहन का सखा है भक्त है।
वो ही कर्त्ता है वही करतार है।
उसके हाथों में ही सब अधिकार है।
गर नहीं उसको तनिक स्वीकार है।
फिर तुम्हारी जीत में भी हार है।
'आरसी' की कर्म पहली प्रीत है।
फल तो वो देगा जो सबका मीत है॥
बहुत हो गया दिल जलाने का मौसम
यही है यही मुस्कुराने का मौसम।
चलो आज फिर से कसम ये उठा लें
न आये कभी दिल दुखाने का मौसम।
सुनो आज मौसम यही कह रहा है
सभी से दिलों को मिलाने का मौसम।
कहीं आग से घर किसी का जले ना
लगी आग फिर से बुझाने का मौसम।
खिजाएं यहाँ फिर पलट कर न आएं
नए पेड़ फिर से लगाने का मौसम।
तुम्हारे हमारे सदा बीच हो अब
किये जो भी वादे निभाने का मौसम ।
बहुत ठण्ड है आज लेकिन करें क्या
तेरी आँख में डूब जाने का मौसम।
चलो हाथ दिल पर रखो और कह दो
यही है दिलों को मिलाने का मौसम।
मिला कर नज़र हो गए तुम परीशां
नरम धूप है गुनगुनाने का मौसम।
अगर हम बहकने लगें रोक देना
नहीं ये नहीं गुल खिलाने का मौसम।
किसी को किसी से मुहब्बत नहीं है
चलो 'आरसी' दूर जाने का मौसम।
-आर. सी . शर्मा "आरसी"
Wednesday, February 24, 2016
हमसे ये दीद-ए-पुरनम नहीं देखे जाते
गमज़दा दोस्त औ हमदम नहीं देखे जाते
बढ़ चले जानिबे मंज़िल तो ये डरना कैसा ?
राह में शोले या शबनम नहीं देखे जाते
-आर० सी० शर्मा "आरसी"
रात दिन में वक़्त ये ढलता रहा
ज़िंदगी का कारवां चलता रहा
भोर का सपना दिखा कर चल दिए
आदमी बस आँख ही मलता रहा
द्रौपदी की लाज लुटने से अधिक
भीष्म का ही मौन बस खलता रहा
कीमतें जब झूंठ की बढ़ने लगीं
सच बिचारा हाथ ही मलता रहा
आज बेटे बेटियाँ सब मस्त हैं
बाप लेकिन बर्फ सा गलता रहा
आँधियों ने साजिशें तो कीं मगर
इक दिया बेख़ौफ़ सा जलता रहा
ईद की खुशियाँ फ़क़त दो रोज़ की
पर मुहर्रम उम्र भर चलता रहा
ज़ख़्म अब किस को दिखाएँ 'आरसी'
जिसने देखे बस नमक मलता रहा
-आर० सी० शर्मा “ आरसी “
Sunday, November 15, 2015
रो पड़े मासूम कोई यह न होना चाहिए
घाव बच्चों के हमें आँसू से धोना चाहिए
स्वप्न आँखों में सलौने अधर पे मुस्कान हो
आने वाली नस्ल को ऐसा खिलौना चाहिए
-आर० सी० शर्मा "आरसी"
Thursday, May 14, 2015
हमें हर बात पर यूँ आह भरना भी नहीं आता किसी को देख जलना, डाह करना भी नहीं आता ज़रा सा मुख़्तलिफ़ अंदाज अपना शायराना है हमें हर बात पर ही वाह करना भी नहीं आता
-आर० सी० शर्मा "आरसी"
Wednesday, May 6, 2015
बना कर हमसफ़र क्यों रास्ते में छोड़ देता है किनारे ढूंढती कश्ती को मांझी मोड़ देता है
मुकद्दर भी हमें अब न्याय सच्चा दे नहीं पाता जिसे दिल में बसाते हैं वही दिल तोड़ देता है
-आर० सी० शर्मा "आरसी"
Friday, May 1, 2015
कुदरत को छेड़ने की सज़ा हमको मिली है
तड़पा है आसमान ये धरती भी हिली है
-आर० सी० शर्मा "आरसी"
ढूंढा ढूंढी तो लगे जीवन भर का काम
आओ हम तुम ढूँढ लें ह्रदय विलोपित राम
-आर० सी० शर्मा "आरसी"
जगत कर्ता जगत हर्ता तो केवल राम होता है
उसी का नाम होठों पर सुबह और शाम होता है
यहाँ सब लोग जाने क्यूं हमीं पर तंज हैं कसते
बिचारा 'आरसी' तो मुफ्त में बदनाम होता है
दर्द में डूबा हुआ है हर फ़साना आजकल मुस्कुराए हो गया है इक ज़माना आजकल | हम जला बैठे हवन में उंगलियाँ जिनके लिए चाहते हैं वो ही हमको आजमाना आजकल | -आर० सी० शर्मा "आरसी"
Tuesday, December 3, 2013
बना कर हाथ को तकिया वो अब फुटपाथ पे सोता,
कभी जिस शख्स में गणतंत्र का उल्लास देखा था |
मिरी आँखें उजाला देख कर खुलने से कतरातीं,
इन्ही आँखों से मैनें भोर का विन्यास देखा था |
-आर० सी० शर्मा "आरसी"
Sunday, December 1, 2013
माना कि हम छप ना पाए पुस्तक या अख़बारों में
लेकिन ये क्या कम है अपनी गिनती है खुद्दारों में |
हम वो पत्थर हैं जो गहरे गढ़े रहे बुनियादों में,
शायद तुमको नज़र न आए इसीलिए मीनारों में |
-आर० सी० शर्मा "आरसी"
Friday, October 18, 2013
ग़म नहीं जो रास्ता पुरख़ार होगा
बस ज़रा सा हौसला दरकार होगा
-आर० सी० शर्मा "आरसी"
(पुरख़ार = काँटों से भरा हुआ)
Sunday, September 29, 2013
कभी इसरार की, इज़हार की, इकरार की बातें,
ज़रूरी तो नहीं ग़ज़लों में केवल प्यार की बातें|
ग़मों को ओढ़ कर जो लोग हैं फूटपाथ पर सोते ,
उन्हें शेरो में शामिल कर, न कर रुखसार की बातें|
-आर० सी० शर्मा "आरसी"