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Thursday, October 20, 2016

ढूँढता फिरता हूँ ख़ुद अपनी बसारत की हुदूद
खो गई हैं मिरी नज़रें मिरी बिनाई में

(बसारत = देखने की शक्ति, दृष्टि), (हुदूद = हदें), (बिनाई = आँखों की ज़्योति)

किस ने देखे हैं तिरी रूह के रिसते हुए ज़ख़्म
कौन उतरा है तिरे क़ल्ब की गहराई में
-रईस अमरोहवी

(क़ल्ब = मर्मस्थल, ह्रदय, दिल)

Wednesday, May 15, 2013

सुनता हूँ बेघरों की बहाली के वास्ते,
काग़ज़ के कुछ मकान बनाये तो गए हैं।
-रईस अमरोहवी

Wednesday, May 8, 2013

माना की मैं हूँ ख़ाक-नशीं आप हैं वज़ीर,
फिर भी न तर्के-रस्मे-मुलाक़ात कीजिये।
जिसने दिया था वोट इलेक्शन में आपको,
सरकार मैं वही हूँ ज़रा बात कीजिये ।
-रईस अमरोहवी

(तर्के-रस्मे-मुलाक़ात = मिलने का त्याग, ना मिलना)