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Spiritual Science
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मुफ़लिसी
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Wednesday, May 15, 2013
सुनता हूँ बेघरों की बहाली के वास्ते,
काग़ज़ के कुछ मकान बनाये तो गए हैं।
-रईस अमरोहवी
Friday, May 3, 2013
महंगी शराब हो गई, कैफ़ी ने छोड़ दी,
काफ़िर को मुफ़लिसी ने, मुसलमां बना दिया।
-चन्द्रभान कैफ़ी
(मुफ़लिसी = ग़रीबी)
Saturday, October 13, 2012
मिरी मुफ़लिसी से बचकर कहीं और जानेवाले
ये सुकूँ न मिल सकेगा तुझे रेशमी कफ़न में
-क़तील शिफ़ाई
Friday, October 12, 2012
इसी सबब से हैं शायद, अज़ाब जितने हैं
झटक के फेंक दो पलकों पे ख़्वाब जितने हैं
(अज़ाब = दुःख, संकट, विपत्ति)
वतन से इश्क़, ग़रीबी से बैर, अमन से प्यार
सभी ने ओढ़ रखे हैं नक़ाब जितने हैं
समझ सके तो समझ ज़िन्दगी की उलझन को
सवाल उतने नहीं है, जवाब जितने हैं
-जाँनिसार अख़्तर
Friday, September 28, 2012
खिलोनों
के
लिए
बच्चे
अभी
तक
जागते
होंगे
तुझे
ऐ
मुफ़लिसी
कोई
बहाना
ढूँढ
लेना
है
-
मुनव्वर
राना
Tuesday, September 25, 2012
आस्था का जिस्म घायल रूह तक बेज़ार है
क्या करे कोई दुआ जब देवता बीमार है
तीरगी अब भी मज़े में है यहाँ पर दोस्तो
इस शहर में जुगनुओं को रोशनी दरकार है
भूख से बेहाल बच्चों को सुनाकर चुटकुले
जो हँसा दे, आज का सबसे बड़ा फ़नकार है
मैं मिटा के ही रहूँगा मुफ़लिसी के दौर को
बात झूठी रहनुमा की है, मगर दमदार है
वो रिसाला या कोई नॉवल नहीं है दोस्तो
पढ़ रहा हूँ मैं जिसे, वो दर्द का अख़बार है
ख़ूबसूरत जिस्म हो या सौ टका ईमान हो
बेचने की ठान लो तो हर तरफ़ बाज़ार है
रास्ते ही रास्ते हों जब शहर की कोख में
मंज़िलों को याद रखना और भी दुश्वार है
-डॉ कुमार विनोद
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