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Wednesday, February 13, 2019

खो न जाए कहीं हर ख़्वाब सदाओं की तरह

खो न जाए कहीं हर ख़्वाब सदाओं की तरह
ज़िंदगी महव-ए-तजस्सुस है हवाओं की तरह

(सदाओं = आवाज़ों), (महव-ए-तजस्सुस = तलाश में तल्लीन/ तन्मय/ डूबी हुई)

टूट जाए न कहीं शीशा-ए-पैमान-ए-वफ़ा
वक़्त बे-रहम है पत्थर के ख़ुदाओं की तरह

हम से भी पूछो सुलगते हुए मौसम की कसक
हम भी हर दश्त पे बरसे हैं घटाओं की तरह

(दश्त = जंगल)

बारहा ये हुआ जा कर तिरे दरवाज़े तक
हम पलट आए हैं नाकाम दुआओं की तरह

कभी माइल-ब-रिफ़ाक़त कभी माइल-ब-गुरेज़
ज़िंदगी हम से मिली तेरी अदाओं की तरह

(माइल-ब-रिफ़ाक़त = मेल-जोल की प्रवृति), (माइल-ब-गुरेज़ = दूर रहने की प्रवृति)

-मुमताज़ राशिद
पहली नज़र में कर न किसी नक़्श पर यक़ीं
लोगों को अपनी शक्ल बदलते हुए भी देख
-मुमताज़ राशिद