ये सपने तो बिल्कुल सच्चे लगते हैं
इन सपनों को सच्चा कर के देखा जाए
घर से निकल कर जाता हूँ मैं रोज़ कहाँ
इक दिन अपना पीछा कर के देखा जाए
-भारत भूषण पन्त
इन सपनों को सच्चा कर के देखा जाए
घर से निकल कर जाता हूँ मैं रोज़ कहाँ
इक दिन अपना पीछा कर के देखा जाए
-भारत भूषण पन्त