mir-o-ghalib
जगजीत-चित्रा जी की ग़ज़लों और नज़्मों के लिए यहाँ क्लिक करें
मीर तक़ी मीर और मिर्ज़ा ग़ालिब के चाहने वाले ये ब्लॉग भी देखें: मीर-ओ-ग़ालिब
Spiritual Science
Showing posts with label
-शायर: नुशूर वाहिदी
.
Show all posts
Showing posts with label
-शायर: नुशूर वाहिदी
.
Show all posts
Tuesday, July 23, 2019
हज़ार शम्अ फ़रोज़ाँ हो रौशनी के लिए
नज़र नहीं तो अंधेरा है आदमी के लिए
-नुशूर वाहिदी
(फ़रोज़ाँ = प्रकाशमान, रौशन)
Thursday, December 13, 2012
तुम क्या गए कि जैसे दुनिया बदल गई है,
सूरज वही है लेकिन रौनक़ नहीं सहर में।
-नुशूर वाहिदी
(सहर = सुबह, सवेरा)
Sunday, November 25, 2012
साक़ी ये हरीफ़ों को पहचान के देना क्या,
जब बज़्म से हम निकले तब दौर में जाम आया।
-नुशूर वाहिदी
[(हरीफ़ = दुश्मन), (बज़्म = महफ़िल)]
हम सायाए महताब में पाले भी गए हैं,
और कितनी बहारों से निकाले भी गए हैं।
(सायाए महताब = चन्द्रमा की छाँव)
रहबर ही का अहसान नहीं राहे जुनूँ पर,
कुछ दूर मेरे पांव के छाले भी गए हैं।
[(रहबर = रास्ता दिखाने वाला, पथप्रदर्शक), (राहे जुनूँ = दीवानगी का रास्ता)]
-नुशूर वाहिदी
दिया ख़ामोश है लेकिन किसी का दिल तो जलता है,
चले आओ जहां तक रोशनी मालूम होती है।
-नुशूर वाहिदी
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)