उस ज़ुल्म पे क़ुर्बां लाख करम, उस लुत्फ़ पे सदक़े लाख सितम
उस दर्द के क़ाबिल हम ठहरे, जिस दर्द के क़ाबिल कोई नहीं
क़िस्मत की शिकायत किससे करें, वो बज़्म मिली है हमको जहाँ
राहत के हज़ारों साथी हैं, दुःख-दर्द में शामिल कोई नहीं
-बासित भोपाली
उस दर्द के क़ाबिल हम ठहरे, जिस दर्द के क़ाबिल कोई नहीं
क़िस्मत की शिकायत किससे करें, वो बज़्म मिली है हमको जहाँ
राहत के हज़ारों साथी हैं, दुःख-दर्द में शामिल कोई नहीं
-बासित भोपाली