चढ़ते सूरज को लोग जल देंगे
जब ढलेगा तो मुड़ के चल देंगे
गंदले-गंदले ये ताल ही तो तुम्हें
मुस्कुराते हुए कंवल देंगे
मोह के वृक्ष मत उगा, ये तुझे
छांव देंगे न मीठे फल देंगे
तुम हमें नित नई व्यथा देना
हम तुम्हे रोज़ इक ग़ज़ल देंगे
चूम कर आपकी हथेली को
हस्त रेखाएं हम बदल देंगे
-राजगोपाल सिंह
जब ढलेगा तो मुड़ के चल देंगे
गंदले-गंदले ये ताल ही तो तुम्हें
मुस्कुराते हुए कंवल देंगे
मोह के वृक्ष मत उगा, ये तुझे
छांव देंगे न मीठे फल देंगे
तुम हमें नित नई व्यथा देना
हम तुम्हे रोज़ इक ग़ज़ल देंगे
चूम कर आपकी हथेली को
हस्त रेखाएं हम बदल देंगे
-राजगोपाल सिंह