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Tuesday, June 25, 2019

बे-सबब यहाँ कोई किसी से मिलता नहीं।
हर ज़िन्दगी में किरदार चुनिन्दा होते हैं।
-रूपा भाटी,

Sunday, May 17, 2015

ख़ामोश मैं और मेरे अफ़साने मुझे तकते हैं
स्याह में अभी ख़ून-ए-जिगर मिलना बाकी है

एक तेज़ धुएं का असर दिखता है
अंगारों का जलना तो अभी बाकी है

-रूपा भाटी

Saturday, May 24, 2014

फ़िक्रमंद रहा ताउम्र, के अब लिखूं की तब
मंदी का दौर है के लफ़्ज़ गुज़रते नहीं

(लफ़्ज़ = शब्द)

या उन्स का मौसम है चौखट पे खड़ा
के बात ना हो जब तलक़ दिन गुज़रते नहीं

(उन्स = प्यार, प्रेम)

-रूपा भाटी

Saturday, July 6, 2013

एक हसीन रात

एक हसीन रात में मिलने का वादा दे दे
मैं समंदर चीर आऊँ ये इरादा दे दे

कुछ पोशीदा रहीं आरज़ू मेरी
तेरे दामन में बिखर जाने का इरादा दे दे

(पोशीदा रहीं = छिपी रहीं)

एक हसीन रात...

-रूपा भाटी

आब-ए-रवाँ

आज मैने उन सारे तारों की फेहरिस्त बना ली है
जिन्हें जोड़ कर तेरा नाम लिखा करते थे

हर दफे के चाँद में तुमसे यूँ मिलना,
और पलकों में तुम्हे समेट के सो जाना

वो छत पे पानी का छांटना
और सौंधी खुश्बू का तेरे आगोश सा लिपट जाना

आज भी याद आता है
गुज़रा हुआ आशिक़ी का ज़माना

अब तू इतने पास है
फिर भी हिज्र का मौसम क्यूँ है

(हिज्र = बिछोहजुदाई)

माह-ओ-साल तू सामने है
फिर भी तेरी याद क्यूँ है

दिल कहीं सख़्त दरख़्त ना बन जाए
चल कहीं आब-ए-रवाँ ढूंढते हैं

[(दरख़्त = वृक्ष, पेड़), (आब-ए-रवाँ = बहता हुआ पानी)]

-रूपा भाटी

Thursday, July 4, 2013

शौक-ए-नफ़स में काबा कर लिया

शौक-ए-नफ़स में काबा कर लिया
मरकज़ की तलाश तो अब भी है बाक़ी

इस उल्फ़त में के विसाल हो जाए रब से
मुमकिन है जीने को ये ख़याल है काफी

-रूपा भाटी

[(शौक-ए-नफ़स में = एक पल की चाहत में ), (मरकज़ = केंद्र), (उल्फ़त = प्यार), (विसाल = मिलन), (रब = ईश्वर)]