Thursday, July 4, 2013

शौक-ए-नफ़स में काबा कर लिया

शौक-ए-नफ़स में काबा कर लिया
मरकज़ की तलाश तो अब भी है बाक़ी

इस उल्फ़त में के विसाल हो जाए रब से
मुमकिन है जीने को ये ख़याल है काफी

-रूपा भाटी

[(शौक-ए-नफ़स में = एक पल की चाहत में ), (मरकज़ = केंद्र), (उल्फ़त = प्यार), (विसाल = मिलन), (रब = ईश्वर)]

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