गये दोनों जहान के काम से हम,
ना इधर के रहे ना उधर के रहे
ना ख़ुदा ही मिला, ना विसाल-ए-सनम,
ना इधर के रहे ना उधर के रहे
-मिर्ज़ा सादिक़ "शरार"
ना इधर के रहे ना उधर के रहे
ना ख़ुदा ही मिला, ना विसाल-ए-सनम,
ना इधर के रहे ना उधर के रहे
-मिर्ज़ा सादिक़ "शरार"