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Friday, April 19, 2013

वो रफ़ीक़ और वो रफाक़तें, वो रक़ीब और वो रक़ाबतें,
वो इनायतें, वो अदावतें, मैं यहीं पे छोड़ के जाउँगा ।
-ज़फ़र खाँ नियाज़ी

[(रफ़ीक़ = दोस्त), (रफाक़तें = दोस्ती), (रक़ीब = प्रतियोगी), (रक़ाबतें = ईर्ष्या), (इनायतें = कृपा), (अदावतें = वैर)]