Showing posts with label -शायर: जलील मानिकपुरी. Show all posts
Showing posts with label -शायर: जलील मानिकपुरी. Show all posts

Saturday, October 15, 2016

बिखरी हुई वो ज़ुल्फ़ इशारों में कह गई
मैं भी शरीक हूँ तिरे हाल-ए-तबाह में
-जलील मानिकपुरी

Saturday, November 1, 2014

दिल-ए-वीराँ में अरमानो की बस्ती तो बसाता हूँ
मुझे उम्मीद है हर आरज़ू ग़म साथ लाएगी

-जलील मानिकपुरी

(दिल-ए-वीराँ = उजाड़ मन)

Wednesday, February 27, 2013

जाते हो ख़ुदा हाफ़िज़, हाँ इतनी गुज़ारिश है,
जब याद हम आ जाएँ, मिलने की दुआ करना।
-जलील मानिकपुरी

Saturday, December 15, 2012

कुछ इस अदा से यार ने पूछा मेरा मिज़ाज,
कहना ही पड़ा शुक्र है परवरदिगार का।
-जलील मानिकपुरी