mir-o-ghalib
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Spiritual Science
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-शायर: मियाँदाद ख़ाँ सय्याह
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Saturday, May 18, 2013
हों ग़ज़ल में शेर सब बेहतर ये मुमकिन ही नहीं,
कब हुईं हैं उँगलियाँ पाँचों बराबर हाथ में ।
-मियाँदाद ख़ाँ सय्याह
क़ैस जंगल में अकेला है मुझे जाने दो,
ख़ूब गुज़रेगी जो मिल बैठेंगे दीवाने दो।
-मियाँदाद ख़ाँ सय्याह
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