Saturday, May 18, 2013

हों ग़ज़ल में शेर सब बेहतर ये मुमकिन ही नहीं,
कब हुईं हैं उँगलियाँ पाँचों बराबर हाथ में ।
-मियाँदाद ख़ाँ सय्याह

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