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Thursday, November 10, 2016

इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई

इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई
हम न सोए रात थक कर सो गई

दामन-ए-मौज-ए-सबा ख़ाली हुआ
बू-ए-गुल दश्त-ए-वफ़ा में खो गई

(दामन-ए-मौज-ए-सबा = पुरवाई के झोंके का आँचल), (बू-ए-गुल = फूल की ख़ुशबू), ( दश्त-ए-वफ़ा = वफ़ा का जंगल)

हाए इस परछाइयों के शहर में
दिल सी इक ज़िंदा हक़ीक़त खो गई

हम ने जब हँस कर कहा, मम्नून हैं
ज़िंदगी जैसे पशेमाँ हो गई

(मम्नून = कृतज्ञ, शुक्रगुज़ार), (पशेमाँ = लज्जित, शर्मिंदा)

-राही मासूम रज़ा

Is safar mein neend aisi kho gayi
ham na soye raat thak kar so gayi

daaman-e-mauj-e-saba ḳhaali hua
boo-e-gul dasht-e-wafa mein kho gayi

haaye is parchhaiyon ke shahar mein
dil si ik zinda haqiqat kho gayi

ham ne jab hans kar kaha mamnoon hain
zindagi jaise pashemaan ho gayi

-Rahi Masoom Raza

Monday, October 20, 2014

रंज तो ये है कि वो अहद-ए-वफ़ा टूट गया
बेवफ़ा कोई भी हो, तुम न सही, हम ही सही

(रंज = दुःख), (अहद-ए-वफ़ा = वफ़ा की प्रतिज्ञा/ करार)

-राही मासूम रज़ा

Tuesday, November 6, 2012

कच्चा आंगन बिस्तर खोले, दरवाजा विश्राम करे
राही जी कुछ दिन को अपने घर हो आयें, राम करे

मेरी घायल आंखों ने तो जोड़ लिये हैं हाथ अपने
बनजारे सपनों की टोली किन आंखों में शाम करे।
-राही मासूम रज़ा

Sunday, October 28, 2012

दिल मे उजले काग़ज पर हम कैसा गीत लिखें
बोलो तुम को गैर लिखें या अपना मीत लिखें
-राही मासूम रज़ा
सब डरते हैं, आज हवस के इस सहरा में बोले कौन
इश्क तराजू तो है, लेकिन, इस पे दिलों को तौले कौन

लोग अपनों के खूं में नहा कर गीता और कुरान पढ़ें
प्यार की बोली याद है किसको, प्यार की बोली बोले कौन
-राही मासूम रज़ा

Tuesday, October 23, 2012

जिनसे हम छूट गये अब वो जहां कैसे हैं,
शाखे गुल कैसे हैं खुशबू के मकां कैसे हैं

ऐ सबा तू तो उधर से ही गुज़रती होगी
उस गली में मेरे पैरों के निशां कैसे हैं

(सबा = हवा)

कहीं शबनम के शगूफ़े कहीं अंगारों के फूल
आके देखो मेरी यादों के जहां कैसे हैं

(शगूफ़े = बिना खिला हुआ फूल, कली)

मैं तो पत्थर था मुझे फेंक दिया ठीक किया
आज उस शहर में शीशे के मकां कैसे हैं

-राही मासूम रज़ा

Tuesday, September 25, 2012

ज़ख़्म जब भी कोई ज़हनो-दिल पर लगा,
ज़िंदगी की तरफ एक दरीचा खुला
हम भी गोया किसी साज के तार हैं,
चोट खाते रहे और गुनगुनाते रहे
-राही मासूम रज़ा

[(ज़हनो दिल = दिल और दिमाग), (दरीचा - खिड़की)]