कच्चा आंगन बिस्तर खोले, दरवाजा विश्राम करे
राही जी कुछ दिन को अपने घर हो आयें, राम करे
मेरी घायल आंखों ने तो जोड़ लिये हैं हाथ अपने
बनजारे सपनों की टोली किन आंखों में शाम करे।
-राही मासूम रज़ा
राही जी कुछ दिन को अपने घर हो आयें, राम करे
मेरी घायल आंखों ने तो जोड़ लिये हैं हाथ अपने
बनजारे सपनों की टोली किन आंखों में शाम करे।
-राही मासूम रज़ा
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