ना मुँह छुपा के जियो और ना सर झुका के जियो
ग़मों का दौर भी आए तो मुस्कुरा के जियो
घटा में छुप के सितारे फ़ना नहीं होते
अंधेरी रात के दिल में दीये जला के जियो
ना जाने कौन सा पल मौत की अमानत हो
हर एक पल की ख़ुशी को गले लगा के जियो
ये ज़िन्दगी किसी मंज़िल पे रूक नहीं सकती
हर इक मक़ाम से आगे क़दम बढ़ा के जियो
-साहिर लुधियानवी
न मुँह छुपा के जिये हम न सर झुका के जिये
सितमगरों की नज़र से नज़र मिला के जिये
अब एक रात अगर कम जिये तो कम ही सही
यही बहुत है कि हम मिशअलें जला के जिये
-साहिर लुधियानवी
(मिशअलें = मशालें)
na muñh chhupā ke jiye ham na sar jhukā ke jiye
sitamgaroñ kī nazar se nazar milā ke jiye
ab ek raat agar kam jiye to kam hī sahī
yahī bahut hai ki ham mish.aleñ jalā ke jiye
-Sahir Ludhianvi