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Spiritual Science
Wednesday, February 6, 2019
मंज़िलें न भूलेंगे राह-रौ भटकने से
शौक़ को तअल्लुक़ ही कब है पाँव थकने से
-अदीब सहारनपुरी
(राह-रौ = सहयात्री)
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