वो जो तेरे फ़क़ीर होते हैं
आदमी बे-नज़ीर होते हैं
(बे-नज़ीर = अद्वितीय, अनूठा, निराला)
देखने वाला इक नहीं मिलता
आँख वाले कसीर होते हैं
(कसीर = अधिक, प्रचुर, बहुत)
जिन को दौलत हक़ीर लगती है
उफ़! वो कितने अमीर होते हैं
(हक़ीर = तुच्छ, बहुत कम)
जिन को क़ुदरत ने हुस्न बख़्शा हो
क़ुदरतन कुछ शरीर होते हैं
(शरीर = चंचल, शोख़, उपद्रवी)
ज़िंदगी के हसीन तरकश में
कितने बे-रहम तीर होते हैं
वो परिंदे जो आँख रखते हैं
सब से पहले असीर होते हैं
(असीर = बंदी, क़ैदी)
फूल दामन में चंद रख लीजे
रास्ते में फ़क़ीर होते हैं
है ख़ुशी भी अजीब शय लेकिन
ग़म बड़े दिल-पज़ीर होते हैं
(दिल-पज़ीर = सुखद, आनंददायक, दिलपसंद, मनभावन)
ऐ 'अदम' एहतियात लोगों से
लोग मुनकिर-नकीर होते हैं
(मुनकिर-नकीर = दो फ़रिश्ते जो मृतक से सवालात करते हैं)
-अब्दुल हमीद अदम