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Monday, May 20, 2019

जिन से इंसाँ को पहुँचती है हमेशा तकलीफ़
उन का दावा है कि वो अस्ल ख़ुदा वाले हैं
-अब्दुल हमीद अदम

Sunday, March 17, 2019

बढ़ के तूफ़ान को आग़ोश में ले ले अपनी
डूबने वाले तिरे हाथ से साहिल तो गया
-अब्दुल हमीद अदम

(साहिल = किनारा)

Monday, February 11, 2019

वो सूरज इतना नज़दीक आ रहा है

वो सूरज इतना नज़दीक आ रहा है
मिरी हस्ती का साया जा रहा है

ख़ुदा का आसरा तुम दे गए थे
ख़ुदा ही आज तक काम आ रहा है

बिखरना और फिर उन गेसुओं का
दो-आलम पर अँधेरा छा रहा है

जवानी आइना ले कर खड़ी है
बहारों को पसीना आ रहा है

कुछ ऐसे आई है बाद-ए-मुआफ़िक़
किनारा दूर हटता जा रहा है

(बाद-ए-मुआफ़िक़ = अनुकूल हवा)

ग़म-ए-फ़र्दा का इस्तिक़बाल करने
ख़याल-ए-अहद-ए-माज़ी आ रहा है

(ग़म-ए-फ़र्दा = आगे आने वाले कल का दुःख), (ख़याल-ए-अहद-ए-माज़ी = भूतकाल के विचार)

वो इतने बे-मुरव्वत तो नहीं थे
कोई क़स्दन उन्हें बहका रहा है

(क़स्दन = जानबूझ कर)

कुछ इस पाकीज़गी से की है तौबा
ख़यालों पर नशा सा छा रहा है

ज़रूरत है कि बढ़ती जा रही है
ज़माना है कि घटता जा रहा है

हुजूम-ए-तिश्नगी की रौशनी में
ज़मीर-ए-मय-कदा थर्रा रहा है

(तिश्नगी = प्यास)

ख़ुदा महफ़ूज़ रक्खे कश्तियों को
बड़ी शिद्दत का तूफ़ाँ आ रहा है

कोई पिछले पहर दरिया-किनारे
सितारों की धुनों पर गा रहा है

ज़रा आवाज़ देना ज़िंदगी को
'अदम' इरशाद कुछ फ़रमा रहा है

(इरशाद = आदेश, आज्ञा देना, हुक्म करना, दीक्षा देना, हिदायत करना)

-अब्दुल हमीद अदम

Sunday, February 10, 2019

वो जो तेरे फ़क़ीर होते हैं

वो जो तेरे फ़क़ीर होते हैं
आदमी बे-नज़ीर होते हैं

(बे-नज़ीर = अद्वितीय, अनूठा, निराला)

देखने वाला इक नहीं मिलता
आँख वाले कसीर होते हैं

(कसीर = अधिक, प्रचुर, बहुत)

जिन को दौलत हक़ीर लगती है
उफ़! वो कितने अमीर होते हैं

(हक़ीर = तुच्छ, बहुत कम)

जिन को क़ुदरत ने हुस्न बख़्शा हो
क़ुदरतन कुछ शरीर होते हैं

(शरीर = चंचल, शोख़, उपद्रवी)

ज़िंदगी के हसीन तरकश में
कितने बे-रहम तीर होते हैं

वो परिंदे जो आँख रखते हैं
सब से पहले असीर होते हैं

(असीर = बंदी, क़ैदी)

फूल दामन में चंद रख लीजे
रास्ते में फ़क़ीर होते हैं

है ख़ुशी भी अजीब शय लेकिन
ग़म बड़े दिल-पज़ीर होते हैं

(दिल-पज़ीर = सुखद, आनंददायक, दिलपसंद, मनभावन)

ऐ 'अदम' एहतियात लोगों से
लोग मुनकिर-नकीर होते हैं

(मुनकिर-नकीर = दो फ़रिश्ते जो मृतक से सवालात करते हैं)

-अब्दुल हमीद अदम

Monday, December 11, 2017

ज़िंदगी ज़ोर है रवानी का
क्या थमेगा बहाव पानी का
-अब्दुल हमीद अदम

Friday, August 4, 2017

जी चाहता है आज 'अदम' उन को छेड़िए
डर डर के प्यार करने में कोई मज़ा नहीं
-अब्दुल हमीद अदम
छोड़ा नहीं ख़ुदी को दौड़े ख़ुदा के पीछे
आसाँ को छोड़ बंदे मुश्किल को ढूँढते हैं
-अब्दुल हमीद अदम

Saturday, October 22, 2016

तकलीफ़ मिट गई मगर एहसास रह गया
ख़ुश हूँ कि कुछ न कुछ तो मिरे पास रह गया
-अब्दुल हमीद अदम

Wednesday, July 30, 2014

क्या मुस्तक़िल इलाज किया दिल के दर्द का
वो मुस्कुरा दिए मुझे बीमार देख कर
-अब्दुल हमीद 'अदम'

(मुस्तक़िल = स्थायी, मजबूत)
हँस के बोला करो बुलाया करो
आप का घर है आया जाया करो

मुस्कुराहट है हुस्न का ज़ेवर
रूप बढ़ता है मुस्कुराया करो

हदसे बढ़कर हसीन लगते हो
झूठी क़स्में ज़रूर खाया करो

हुक्म करना भी एक सख़ावत है
हम को ख़िदमत कोई बताया करो

बात करना भी बादशाहत है
बात करना न भूल जाया करो

ता के दुनिय की दिलकशी न घटे
नित नये पैरहन में आया करो

कितने सादा मिज़ाज हो तुम 'अदम'
उस गली में बहुत न जाया करो

-अब्दुल हमीद 'अदम'


Monday, July 8, 2013

दिल अभी अच्छी तरह टूटा नहीं
दोस्तों की मेहरबानी चाहिए
-अब्दुल हमीद 'अदम'
कहते हैं उम्र-ए-रफ़्ता कभी लौटती नहीं
जा मैकदे से मेरी जवानी उठा के ला
-अब्दुल हमीद 'अदम'
मरने वाले तो ख़ैर हैं बेबस
जीने वाले कमाल करते हैं
-अब्दुल हमीद 'अदम'
साक़ी मुझे शराब की तोहमत नहीं पसंद
मुझ को तेरी निगाह का इल्ज़ाम चाहिए
-अब्दुल हमीद 'अदम'
ज़िंदगी नाम है रवानी का
क्या थमेगा बहाव पानी का
-अब्दुल हमीद 'अदम'
ज़ाहिद शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर
या वो जगह बता दे जहाँ पर ख़ुदा न हो
-अब्दुल हमीद 'अदम'

Sunday, March 24, 2013

सिर्फ एक कदम उठा था गलत राहे-शौक में,
मंज़िल तमाम उम्र मुझे ढूँढती रही ।
-अब्दुल हमीद अदम

Wednesday, February 20, 2013

सवाल करके मैं ख़ुद ही बहुत पशेमां हूं
जवाब देके मुझे और शर्मसार न कर
-अब्दुल हमीद अदम

(पशेमां = लज्जित, शर्मिन्दा)