Showing posts with label -शायर: हसन अकबर कमाल. Show all posts
Showing posts with label -शायर: हसन अकबर कमाल. Show all posts

Sunday, July 28, 2019

कितना अच्छा लगता है, इक आम सा चेहरा भी
सिर्फ़ मोहब्बत-भरा तबस्सुम, लब पर लाने से

गए दिनों में रोना भी तो, कितना सच्चा था
दिल हल्का हो जाता था, जब अश्क बहाने से

- हसन अकबर कमाल

(तबस्सुम =  मुस्कराहट), (अश्क = आँसू)