कितना अच्छा लगता है, इक आम सा चेहरा भी
सिर्फ़ मोहब्बत-भरा तबस्सुम, लब पर लाने से
गए दिनों में रोना भी तो, कितना सच्चा था
दिल हल्का हो जाता था, जब अश्क बहाने से
- हसन अकबर कमाल
(तबस्सुम = मुस्कराहट), (अश्क = आँसू)
सिर्फ़ मोहब्बत-भरा तबस्सुम, लब पर लाने से
गए दिनों में रोना भी तो, कितना सच्चा था
दिल हल्का हो जाता था, जब अश्क बहाने से
- हसन अकबर कमाल
(तबस्सुम = मुस्कराहट), (अश्क = आँसू)