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Tuesday, June 21, 2016

फिर छिड़ी रात बात फूलों की

फिर छिड़ी रात बात फूलों की
रात है या बारात फूलों की

फूल के हार, फूल के गजरे
शाम फूलों की रात फूलों की

आपका साथ, साथ फूलों का
आपकी बात, बात फूलों की

नज़रें मिलती हैं जाम मिलते हैं
मिल रही है हयात फूलों की

(हयात = जीवन)

कौन देता है जान फूलों पर
कौन करता है बात फूलों की

वो शराफ़त तो दिल के साथ गई
लुट गई कायनात फूलों की

(कायनात = सृष्टि, जगत, ब्रम्हांड)

अब किसे है दिमाग़-ए-तोहमत-ए-इश्क़
कौन सुनता है बात फूलों की

मेरे दिल में सरूर-ए-सुबह बहार
तेरी आँखों में रात फूलों की

फूल खिलते रहेंगे दुनिया में
रोज़ निकलेगी बात फूलों की

ये महकती हुई ग़ज़ल 'मख़दूम'
जैसे सहरा में रात फूलों की

(सहरा = रेगिस्तान)

-मखदूम मोहिउद्दीन



Friday, February 5, 2016

ये कौन आता है तन्हाइयों में जाम लिए

ये कौन आता है तन्हाइयों में जाम लिए
जिलों में चाँदनी रातों का एहतमाम लिए

(जिलों = चमक-दमक, आभा), (एहतमाम = प्रबन्ध)

चटक रही है किसी याद की कली दिल में
नज़र में रक़्स-ए-बहाराँ की सुबह-ओ-शाम लिए

(रक़्स-ए-बहाराँ = बहारों का नृत्य)

हुजूम-ए-बादा-ओ-गुल में हुजूम-ए-याराँ में
किसी निगाह ने झुक कर मेरे सलाम लिए

(हुजूम-ए-बादा-ओ-गुल = शराब और फूलों के समूह), (हुजूम-ए-याराँ = दोस्तों की भीड़)

महक-महक के जगाती रही नसीम-ए-सहर
लबों पे यार-ए-मसीहा-नफ़स का नाम लिए

(नसीम-ए-सहर = सुबह की शीतल हवा), (यार-ए-मसीहा-नफ़स = ईसा मसीह की साँस की दोस्त :- इंजील के अनुसार हज़रत ईसा की फूँक से मुर्दे ज़िन्दा हो जाते थे)

किसी ख़याल की ख़ुशबू किसी बदन की महक
दर-ए-क़फ़स पे खड़ी है सबा पयाम लिए

(दर-ए-क़फ़स = पिंजरे/ जेल का दरवाज़ा), (सबा = मंद हवा), (पयाम = सन्देश)

बजा रहा था कहीं दूर कोई शहनाई
उठा हूँ, आँखों में इक ख़्वाब-ए-नातमाम लिए

(नातमाम = अधूरा स्वप्न)

-मख़्दूम मोइउद्दीन

Abida Parveen



Jagjit Singh

Friday, October 12, 2012

हयात लेके चलो, कायनात लेके चलो,
चलो तो सारे ज़माने को साथ लेके चलो ।
-मखदूम मोहिउद्दीन
[(हयात = जीवन) ; (कायनात: सृष्टि, जगत)]