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Monday, April 8, 2019

यारो कू-ए-यार की बातें करें

यारो कू-ए-यार की बातें करें
फिर गुल ओ गुलज़ार की बातें करें

(कू-ए-यार  = यार (प्रियतम/प्रियतमा) की गली)

चाँदनी में ऐ दिल इक इक फूल से
अपने गुल-रुख़्सार की बातें करें

(गुल-रुख़्सार = फूल जैसे गाल वाला माशूक़)

अब तो मिलिए बस लड़ाई हो चुकी
अब तो चलिए प्यार की बातें करें

फिर महक उट्ठे फ़ज़ा-ए-ज़िंदगी
फिर गुल ओ रुख़्सार की बातें करें

(गुल = फूल), (रुख़्सार = गाल)

-अख़्तर शीरानी

Wednesday, March 6, 2019

इन्ही ग़म की घटाओं से ख़ुशी का चाँद निकलेगा
अँधेरी रात के पर्दे में दिन की रौशनी भी है
-अख़्तर शीरानी

Friday, December 21, 2018

वो कभी मिल जाएँ तो क्या कीजिए

वो कभी मिल जाएँ तो क्या कीजिए
रात दिन सूरत को देखा कीजिए

चाँदनी रातों में इक इक फूल को
बे-ख़ुदी कहती है सज्दा कीजिए

जो तमन्ना बर न आए उम्र भर
उम्र भर उस की तमन्ना कीजिए

(बर = पर, ऊपर)

इश्क़ की रंगीनियों में डूब कर
चाँदनी रातों में रोया कीजिए

पूछ बैठे हैं हमारा हाल वो
बे-ख़ुदी तू ही बता क्या कीजिए

हम ही उस के इश्क़ के क़ाबिल न थे
क्यूँ किसी ज़ालिम का शिकवा कीजिए

आप ही ने दर्द-ए-दिल बख़्शा हमें
आप ही इस का मुदावा कीजिए

(मुदावा = उपचार, इलाज)

कहते हैं 'अख़्तर' वो सुन कर मेरे शेर
इस तरह हम को न रुस्वा कीजिए 

(रुस्वा =बदनाम)

-अख़्तर शीरानी

Ghulam Ali/ ग़ुलाम अली





Sunday, March 18, 2018

मुबारक मुबारक नया साल आया
ख़ुशी का समाँ सारी दुनिया पे छाया
-अख़्तर शीरानी

Saturday, April 9, 2016

ऐ दिल वो आशिक़ी के फ़साने किधर गए
वो उम्र क्या हुई वो ज़माने किधर गए
-अख़्तर शीरानी‬