Monday, April 8, 2019

यारो कू-ए-यार की बातें करें

यारो कू-ए-यार की बातें करें
फिर गुल ओ गुलज़ार की बातें करें

(कू-ए-यार  = यार (प्रियतम/प्रियतमा) की गली)

चाँदनी में ऐ दिल इक इक फूल से
अपने गुल-रुख़्सार की बातें करें

(गुल-रुख़्सार = फूल जैसे गाल वाला माशूक़)

अब तो मिलिए बस लड़ाई हो चुकी
अब तो चलिए प्यार की बातें करें

फिर महक उट्ठे फ़ज़ा-ए-ज़िंदगी
फिर गुल ओ रुख़्सार की बातें करें

(गुल = फूल), (रुख़्सार = गाल)

-अख़्तर शीरानी

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