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Friday, August 16, 2019

बुरा बुरे के अलावा भला भी होता है
हर आदमी में कोई दूसरा भी होता है

हम ऐ 'शुऊर' अकेले कभी नहीं होते
हमारे साथ हमारा ख़ुदा भी होता है

-अनवर शऊर

Tuesday, June 18, 2019

फ़रिश्तों से भी अच्छा मैं बुरा होने से पहले था

फ़रिश्तों से भी अच्छा मैं बुरा होने से पहले था
वो मुझ से इंतिहाई ख़ुश ख़फ़ा होने से पहले था

किया करते थे बातें ज़िंदगी-भर साथ देने की
मगर ये हौसला हम में जुदा होने से पहले था

-अनवर शऊर

Saturday, April 6, 2019

अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँ
अब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ
-अनवर शऊर

Saturday, March 2, 2019

इत्तिफ़ाक़ अपनी जगह ख़ुश-क़िस्मती अपनी जगह

इत्तिफ़ाक़ अपनी जगह ख़ुश-क़िस्मती अपनी जगह
ख़ुद बनाता है जहाँ में आदमी अपनी जगह

कह तो सकता हूँ मगर मजबूर कर सकता नहीं
इख़्तियार अपनी जगह है बेबसी अपनी जगह

(इख़्तियार = अधिकार, काबू, प्रभुत्व)

कुछ न कुछ सच्चाई होती है निहाँ हर बात में
कहने वाले ठीक कहते हैं सभी अपनी जगह

(निहाँ = छुपी हुई)

सिर्फ़ उस के होंट काग़ज़ पर बना देता हूँ मैं
ख़ुद बना लेती है होंटों पर हँसी अपनी जगह

दोस्त कहता हूँ तुम्हें शाएर नहीं कहता 'शुऊर'
दोस्ती अपनी जगह है शाएरी अपनी जगह

-अनवर शुऊर