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Thursday, December 25, 2014

जलाने होंगे मुहब्बत के बेशुमार चिराग़
अभी अंधेरा बहुत है कई मकानों में
-ओबैद आज़म आज़मी

Saturday, November 8, 2014

जादू वो लफ़्ज़ लफ़्ज़ से करता चला गया
और हमने बात बात में हर बात मान ली

-ओबैद आज़म आज़मी