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Saturday, June 15, 2019

आकाश की हसीन फ़ज़ाओं में खो गया

आकाश की हसीन फ़ज़ाओं में खो गया
मैं इस क़दर उड़ा कि ख़लाओं में खो गया

(ख़लाओं = अँतरिक्षों)

कतरा रहे हैं आज के सुक़रात ज़हर से
इंसान मस्लहत की अदाओं में खो गया

(मस्लहत = समझदारी, हित, भलाई)

शायद मिरा ज़मीर किसी रोज़ जाग उठे
ये सोच के मैं अपनी सदाओं में खो गया

(सदाओं = आवाज़ों)

लहरा रहा है साँप सा साया ज़मीन पर
सूरज निकल के दूर घटाओं में खो गया

मोती समेट लाए समुंदर से अहल-ए-दिल
वो शख़्स बे-अमल था दुआओं में खो गया

(अहल-ए-दिल = दिल वाले), (बे-अमल = बिना कर्म के)

ठहरे हुए थे जिस के तले हम शिकस्ता-पा
वो साएबाँ भी तेज़ हवाओं में खो गया

(शिकस्ता-पा = मजबूर, असहाय, लाचार), (साएबाँ = शामियाना, मण्डप)

-कामिल बहज़ादी