Saturday, December 22, 2018

रात की धड़कन जब तक जारी रहती है

रात की धड़कन जब तक जारी रहती है
सोते नहीं हम ज़िम्मेदारी रहती है

जब से तू ने हल्की हल्की बातें कीं
यार तबीअत भारी भारी रहती है

पाँव कमर तक धँस जाते हैं धरती में
हाथ पसारे जब ख़ुद्दारी रहती है

वो मंज़िल पर अक्सर देर से पहुँचे हैं
जिन लोगों के पास सवारी रहती है

छत से उस की धूप के नेज़े आते हैं
जब आँगन में छाँव हमारी रहती है

(नेज़े = तीर)

घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया
घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है

-राहत इंदौरी

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