भले मुख़्तसर है
सफ़र फिर सफ़र है।
(मुख़्तसर = थोड़ा, कम, संक्षिप्त)
जो हासिल नहीं है
उसी पर नज़र है।
यहां भीड़ में भी
अकेला बशर है।
(बशर = इंसान)
है कब लौट जाना
किसे ये ख़बर है।
ख़ता है अगर इश्क़
ख़ता दरगुज़र है।
(दरगुज़र = क्षमा योग्य)
तेरी मौत मंज़िल
वहीं तक सफ़र है।
- विकास"वाहिद"
१८/०७/२०१९
सफ़र फिर सफ़र है।
(मुख़्तसर = थोड़ा, कम, संक्षिप्त)
जो हासिल नहीं है
उसी पर नज़र है।
यहां भीड़ में भी
अकेला बशर है।
(बशर = इंसान)
है कब लौट जाना
किसे ये ख़बर है।
ख़ता है अगर इश्क़
ख़ता दरगुज़र है।
(दरगुज़र = क्षमा योग्य)
तेरी मौत मंज़िल
वहीं तक सफ़र है।
- विकास"वाहिद"
१८/०७/२०१९
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