दर्द में डूबा हुआ है हर फ़साना आजकल
मुस्कुराए हो गया है इक ज़माना आजकल |
हम जला बैठे हवन में उंगलियाँ जिनके लिए
चाहते हैं वो ही हमको आजमाना आजकल |
-आर० सी० शर्मा "आरसी"
मुस्कुराए हो गया है इक ज़माना आजकल |
हम जला बैठे हवन में उंगलियाँ जिनके लिए
चाहते हैं वो ही हमको आजमाना आजकल |
-आर० सी० शर्मा "आरसी"
No comments:
Post a Comment