Monday, February 4, 2019

रात को जब याद आए तेरी ख़ुशबू-ए-क़बा
तेरे क़िस्से छेड़ते हैं रात की रानी से हम
-अब्बास ताबिश

(ख़ुशबू-ए-क़बा = कपड़ों की ख़ुशबू)

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