Monday, February 4, 2019

जाँ से जाने की बात करते हो

जाँ से जाने की बात करते हो
क्यूँ सताने की बात करते हो

लब पे नग़मे हैं मोती पलकों पर
आब-ओ-दाने की बात करते हो

याँ हक़ीक़त पे बे-यक़ीनी है
तुम फ़साने की बात करते हो

दश्नः दाबे बग़ल में आये हो
दोस्ताने की बात करते हो

(दश्नः = ख़ंजर)

आ गया मुंह तलक जिगर अब क्यूँ
आज़माने की बात करते हो

दुनिया क़दमों में मेरे बिछती है
तुम मिटाने की बात करते हो

-स्मृति रॉय

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