जाँ से जाने की बात करते हो
क्यूँ सताने की बात करते हो
लब पे नग़मे हैं मोती पलकों पर
आब-ओ-दाने की बात करते हो
याँ हक़ीक़त पे बे-यक़ीनी है
तुम फ़साने की बात करते हो
दश्नः दाबे बग़ल में आये हो
दोस्ताने की बात करते हो
(दश्नः = ख़ंजर)
आ गया मुंह तलक जिगर अब क्यूँ
आज़माने की बात करते हो
दुनिया क़दमों में मेरे बिछती है
तुम मिटाने की बात करते हो
-स्मृति रॉय
क्यूँ सताने की बात करते हो
लब पे नग़मे हैं मोती पलकों पर
आब-ओ-दाने की बात करते हो
याँ हक़ीक़त पे बे-यक़ीनी है
तुम फ़साने की बात करते हो
दश्नः दाबे बग़ल में आये हो
दोस्ताने की बात करते हो
(दश्नः = ख़ंजर)
आ गया मुंह तलक जिगर अब क्यूँ
आज़माने की बात करते हो
दुनिया क़दमों में मेरे बिछती है
तुम मिटाने की बात करते हो
-स्मृति रॉय
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