Tuesday, October 2, 2012

कोई नहीं जो हमसे इतना भी पूछे
जाग रहे हो किसके लिए, क्यों सोये नहीं
दुख है अकेलेपन का, मगर ये नाज़ भी है
भीड़ में अब तक इंसानों की खोये नहीं
-शहरयार

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