Sunday, September 29, 2013

ऐ शम्अ ! तेरी उम्र-ए-तबीई है एक रात
रोकर गुज़ार, या इसे हँसकर गुज़ार दे

(उम्र-ए-तबीई = स्वाभाविक उम्र, जीवन काल)

-ज़ौक़

1 comment:

  1. so true..
    जिन्दगी वैसी ही होती है जैसी हम उसे बिताना चाहते है।
    sp

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