mir-o-ghalib
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Spiritual Science
Sunday, September 29, 2013
ऐ शम्अ ! तेरी उम्र-ए-तबीई है एक रात
रोकर गुज़ार, या इसे हँसकर गुज़ार दे
(उम्र-ए-तबीई = स्वाभाविक उम्र, जीवन काल)
-ज़ौक़
1 comment:
Anonymous
September 30, 2013 at 12:58 PM
so true..
जिन्दगी वैसी ही होती है जैसी हम उसे बिताना चाहते है।
sp
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so true..
ReplyDeleteजिन्दगी वैसी ही होती है जैसी हम उसे बिताना चाहते है।
sp