सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-क़ातिल में है
वक़्त आने दे बता देंगे तुझे, ए आसमाँ
हम अभी से क्या बताएँ क्या हमारे दिल में है
ओ रे बिस्मिल काश आते आज तुम हिन्दोस्ताँ
देखते कि मुल्क़ सारा ये टशन में थ्रिल में है
आज का लौंडा ये कहता हम तो बिस्मिल थक गये
अपनी आज़ादी तो भइया लौंडिया के तिल में है
आज के जलसों में बिस्मिल एक गूँगा गा रहा
और बहरों का वो रेला नाचता महफ़िल में है
हाथ की खादी बनाने का ज़माना लद गया
आज तो चड्ढी भी सिलती इंगलिसों की मिल में है
-पीयूष मिश्रा
देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-क़ातिल में है
वक़्त आने दे बता देंगे तुझे, ए आसमाँ
हम अभी से क्या बताएँ क्या हमारे दिल में है
ओ रे बिस्मिल काश आते आज तुम हिन्दोस्ताँ
देखते कि मुल्क़ सारा ये टशन में थ्रिल में है
आज का लौंडा ये कहता हम तो बिस्मिल थक गये
अपनी आज़ादी तो भइया लौंडिया के तिल में है
आज के जलसों में बिस्मिल एक गूँगा गा रहा
और बहरों का वो रेला नाचता महफ़िल में है
हाथ की खादी बनाने का ज़माना लद गया
आज तो चड्ढी भी सिलती इंगलिसों की मिल में है
-पीयूष मिश्रा
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