Thursday, September 27, 2012

फूल तो दो दिन बहार-ए जांफ़िज़ा दिखला गए
हसरत उन गुंचों पे है जो बिन खिले मुरझा गए
-ज़ौक

(गुंचा = कली), (बहार-ए जांफ़िज़ा = दिल को ख़ुश रखने वाली रौनक)

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