फूल तो दो दिन बहार-ए जांफ़िज़ा दिखला गए
हसरत उन गुंचों पे है जो बिन खिले मुरझा गए
-ज़ौक
(गुंचा = कली), (बहार-ए जांफ़िज़ा = दिल को ख़ुश रखने वाली रौनक)
हसरत उन गुंचों पे है जो बिन खिले मुरझा गए
-ज़ौक
(गुंचा = कली), (बहार-ए जांफ़िज़ा = दिल को ख़ुश रखने वाली रौनक)
No comments:
Post a Comment