ख़िर्द-मंदों से क्या पूछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या है
कि मैं इस फ़िक्र में रहता हूँ मेरी इंतिहा क्या है
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है
-अल्लामा इक़बाल
(ख़िर्द-मंदों = बुद्धिमानों, अक्लमंदों), (इब्तिदा = प्रारम्भ, आरम्भ, शुरूआत), (इन्तिहा = अंत, आखिरी हद या छोर ), (रज़ा - इच्छा, तमन्ना, ख़्वाहिश)
कि मैं इस फ़िक्र में रहता हूँ मेरी इंतिहा क्या है
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है
-अल्लामा इक़बाल
(ख़िर्द-मंदों = बुद्धिमानों, अक्लमंदों), (इब्तिदा = प्रारम्भ, आरम्भ, शुरूआत), (इन्तिहा = अंत, आखिरी हद या छोर ), (रज़ा - इच्छा, तमन्ना, ख़्वाहिश)
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