mir-o-ghalib
जगजीत-चित्रा जी की ग़ज़लों और नज़्मों के लिए यहाँ क्लिक करें
मीर तक़ी मीर और मिर्ज़ा ग़ालिब के चाहने वाले ये ब्लॉग भी देखें: मीर-ओ-ग़ालिब
Spiritual Science
Wednesday, September 4, 2013
ख़ुदी वह बहर है, जिसका कोई किनारा नहीं
तू आबजू उसे समझा अगर, तो चारा नहीं
- अल्लामा इक़बाल
[(बहर = दरिया, समुद्र), (आबजू = नदी,नहर)]
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment