Wednesday, September 4, 2013

ख़ुदी वह बहर है, जिसका कोई किनारा नहीं
तू आबजू उसे समझा अगर, तो चारा नहीं
- अल्लामा इक़बाल

[(बहर = दरिया, समुद्र), (आबजू = नदी,नहर)]

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