Sunday, February 3, 2013

मैं फ़क़त इन्सान हूँ हिन्दू-मुसलमाँ कुछ नहीं,
मेरे दिल के दर्द में तफ़रीक़े-ईमाँ कुछ नहीं । 


(तफ़रीक़े-ईमाँ = धर्म/ सत्य का बँटवारा/ अंतर)

 -आनंद नारायण मुल्ला

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