तलाश करते हैं उनको ज़रुरत वाले
कहाँ गये वो पुरानी शराफतों वाले
तमाम उम्र सलामत रहें दुआ है यही
हमारे सर पे हैं जो हाथ बरकतों वाले
हम एक तितली की खातिर भटकते फिरते थे
कभी न आयेंगे वो दिन शरारतों वाले
ज़रा सी बात पे आँखें बरसने लगती थीं
कहाँ चले गये मौसम वो चाहतों वाले
-मुनव्वर राना
कहाँ गये वो पुरानी शराफतों वाले
तमाम उम्र सलामत रहें दुआ है यही
हमारे सर पे हैं जो हाथ बरकतों वाले
हम एक तितली की खातिर भटकते फिरते थे
कभी न आयेंगे वो दिन शरारतों वाले
ज़रा सी बात पे आँखें बरसने लगती थीं
कहाँ चले गये मौसम वो चाहतों वाले
-मुनव्वर राना
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