Tuesday, September 25, 2012

दिल से पहुँची तो हैं आँखों में लहू की बूंदे,
सिलसिला शीशे से मिलता तो है पैमाने का ।

हर नफ़स उम्रे-गुजस्ता की है मय्यत 'फानी'
ज़िन्दगी नाम है मर मर के जिए जाने का ।
-फ़ानी बदायूनी

[(नफ़स = सांस), (उम्रे-गुजस्ता - बीती हुई उम्र), (मय्यत-अर्थी)]

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