mir-o-ghalib
जगजीत-चित्रा जी की ग़ज़लों और नज़्मों के लिए यहाँ क्लिक करें
मीर तक़ी मीर और मिर्ज़ा ग़ालिब के चाहने वाले ये ब्लॉग भी देखें: मीर-ओ-ग़ालिब
Spiritual Science
Thursday, September 27, 2012
अब
करके
फ़रामोश
तो
नाशाद
करोगे
,
पर
हम
जो
न
होंगे
तो
बहुत
याद
करोंगे।
-मीर
तक़ी
मीर
1.
फ़रामोश
-
भूलना
2.
नाशाद
-
अप्रसन्न
,
दुखी
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment