Friday, September 28, 2012

कृष्ण एक ज़ात नहीं, एक अमल होता है,
आज होता है कोई, उसका कल होता है
कृष्ण हर दौर में आता है नया रूप लिए,
कृष्ण हर दौर के अरमानो का फल होता है
-साहिर लुधियानवी

2 comments:

  1. प्रिय जोशी ..... साहिर जी की ये रचना किस स्रोत से ली गयी है

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    1. अजय जी, ये मैंने श्री बी.पी. बेरी साहब के लेख में पढ़ा था जो अमर वर्मा जी की पुस्तक "मैं पल दो पल का शायर हूँ" में प्रकाशित हुआ था।

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